Tuesday 22 November 2022

क्या है, अधिक पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थों का आपके BP से संबंध?

कैल्शियम और सोडियम की तरह, पोटेशियम एक खनिज है जो कुछ खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। आपके आहार में पोटेशियम की सही मात्रा होने से ना केवल आप स्वस्थ रहते हैं बल्कि आपके हृदय के स्वास्थ्य के लिए यह एक अत्यावश्यक खनिज भी है, इसलिए पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थों को प्रयाप्त मात्रा में अपने भोजन में शामिल करना सभी के लिये ज़रूरी है।


महिलाओं को हर दिन 2,600 मिलीग्राम और पुरुषों को 3,400 मिलीग्राम पोटेशियम मिलना चाहिए, मगर आधुनिक आहार लेने वाले अधिकांश लोगों को अपने आहार में पर्याप्त पोटेशियम नहीं  मिलता है। वैज्ञानिक अध्ययनों से जानकारी मिलती है कि  कम सोडियम सेवन के साथ मैग्नीशियम और पोटेशियम की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों का सेवन बीपी को कम करने में काफ़ी प्रभावी होता है और हाई BP के इलाज में एक BP कम करने वाली दवा के समान काम करता है। मैग्नीशियम का मात्र 500 से 1000 mg प्रतिदिन सेवन रक्तचाप (BP) को 5.6 / 2.8 mmHg तक कम कर सकता है। यह भी देखा गया है, हाई BP के मरीज़ जो BP  की दवाएँ ले रहे हैं यदि मैग्नीशियम की अधिकता वाले भोजन लेते हैं तो उनमे उच्चरक्तचापरोधी दवायें अधिक प्रभावी हो जाती हैं। 

हालाँकि दूसरे हृदय रोग जैसे हार्ट-अटैक (कोरोनरी हृदय रोग) और ब्रेन-अटैक (इस्केमिक स्ट्रोक), और हृदय की धड़कन की अनियमितता से रोका या इलाज किया जाने का प्रश्न अभी शोध का विषय है मगर प्रारंभिक साक्ष्य यह अच्छी तरह से साबित करते हैं कि भोजन में प्राकृतिक मैग्नीशियम की मात्रा में वृद्धि से इंसुलिन संवेदनशीलता(insulin sensitivity), हाइपरग्लेसेमिया (high blood sugar), मधुमेह (diabetes), हृदय की माँसपेशियों का मोटा हो जाना (left ventricular hypertrophy), और डिस्लिपिडेमिया (खून में गंदे कोलेस्ट्रॉल की अधिकता) में सुधार होता है। 

वैज्ञानिकों के अनुसार इसका कारण हमारी कोशिकाओं के भीतर सोडियम और कैल्शियम की मात्रा को कम करके उनके बजाये मैग्नीशियम और पोटेशियम की मात्रा को बढ़ाने के साथ ही इसका प्राकृतिक कैल्शियम चैनल ब्लॉकर (बीपी कम करने की एक महत्वपूर्ण दवा) के रूप में काम करना, धमनियों को शिथिल करने वाले प्राकृतिक नाइट्रिक ऑक्साइड को बढ़ाने की वजह से सुधार होता है। 

पोटेशियम की अधिकता वाले भोजन

सामान्यत: आप ऐसी कई चीज़ें खाते हैं जिनमे पोटेशियम भी होता है। मगर यदि आपको अपने आहार में पोटेशियम की मात्रा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, तो अपने खाने में नीचे दी गई सूची से चुनकर भोजन में शामिल करना चाहिए। अधिक पोटेशियम वाले खाद्य को चुनने के लिए कुछ सरल उपाय ताजे फल और सब्जियां है:

ताजे फल 

केले, संतरे, कैंटालूप, खुबानी, अंगूर (सूखे फल, जैसे प्रून, किशमिश और खजूर), पत्तेदार साग जैसे पालक आदि, ब्रोकोली, आलू, शकरकंद, मशरूम, मटर, खीरे, ज़ूकीनी, कद्दू आदि 

फलियाँ (Beans) 

जैसे लीमा बीन्स, पिंटो बीन्स, राजमा, सोयाबीन, मसूर आदि भी पोटैशियम का एक स्रोत हैं 

ताज़ा फलों के रस 

जैसे संतरे का रस, टमाटर का रस, प्रून जूस, खुबानी का रस, तरबूज़ और अंगूर का रस आदि में काफ़ी अच्छी मात्रा में पोटेशियम होता है। 

वसा मुक्त डेयरी उत्पाद

जैसे दूध और दही, मछलियों (टूना, हालिबट, कॉड, ट्राउट, रॉकफिश) में भी पोटेशियम में अच्छी मात्रा में होता।

पोटैशियम की अधिकता वाले 12 खाद्य


और अंत में जानिए

किडनी के मरीज़ों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

यदि आपके गुर्दे (किडनी) की बीमारी है और ठीक तरह से काम नहीं करते हैं, तो आपकी पोटैशियम की ज़रूरतें कम होगी क्योंकि किडनी के मरीजों की पेशाब में कम मात्रा में शरीर के बाहर जाता है और इसलिए आपके शरीर में पोटेशियम की आवश्यकता से अधिक लेवल हो सकता है। इस कारण से, गुर्दे की बीमारी वाले लोगों अपने भोजन में ऊपर दिये गये भोजन को अधिक मात्र में लेने से पहले, अपने डाक्टर से सलाह करना बहुत ज़रूरी है। अमरीका में 2020 से, सभी पैकेट में आने वाले खाद्य पदार्थों में पोटैशियम की कितनी मात्रा है बताना आवश्यक किया गया है मगर भारत में ऐसा नहीं है। हमारे देश में बहुत कम पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के लेबल पर पोटैशियम की मात्रा लिखी होती है इसलिए भी आवश्यक है कि  किडनी के बीमारी वाले मरीज़, अपने डाक्टर से सलाह ज़रूर लें। 



Thursday 3 November 2022

दिल की बात: हार्ट अटैक - रेड मीट का सेवन तथा हमारी आँतों के जीवाणुओं के बीच का संबंध!


हृदय की धमनियों में रुकावट से होने वाले रोग (arteriosclerosis) और पशुओं के लाल मांस के सेवन के बीच का संबंध कई दशकों से विवादास्पद बना हुआ हैं। मगर पिछले कुछ वर्षों में, आधुनिक जीवविज्ञान ने हृदयरोगों के सबंध में जानकारी दी है कि लंबे समय तक से रेड मीट (लाल मांस) को खाने से व्यक्ति को हृदय रोग का ख़तरा सामान्य से कई गुना बढ़ जाता है। मगर अब एक नयी जानकारी प्रकाश में आयी है जो बताती है कि हमारी आँतों में प्राकृतिक रूप से रहने वाले बैक्टीरिया (जीवाणु) तथा होने वाले हृदयरोगों के बीच एक घनिष्ठ संबंध है। नए वैज्ञानिक सबूत बताते हैं कि जब लोग रेड मीट (लाल मांस) खाते हैं तो आंत के बैक्टीरिया (जीवाणु) द्वारा रेड मीट (लाल मांस) को पचाने की अंतिम पायदान पर बनाए गए उत्पाद इस जोखिम में योगदान करते हैं।

हैं ना यह बड़ी अजीब सी लगने वाली बात?

मगर सच यह है कि 1989 से 2002 तक चलने वाले इस अध्ययन में, 65 और उससे अधिक उम्र के लगभग 4,000 से अधिक लोगों से जुटाए आँकड़े, इसी ओर इशारा कर रहे हैं। एक दशक से भी अधिक समय तक चलने वाले इस अध्ययन में यही भी संकेत मिला की मछली, मुर्गी का मांस और अंडे हृदय रोग के जोखिम को प्रभावित नहीं करते हैं! लेकिन रोज़ाना रेड मीट (लाल मांस) का सेवन हृदय रोग के जोखिम को  22% अधिक बढ़ा देता है।

इस अतिरिक्त जोखिम का कारण भी पता लगा। यह इन लोगों की आँतों में बनने वाले 3 महत्वपूर्ण मेटाबोलाइट्स (चय-अपचय पदार्थ) के खून में बढ़े हुए स्तर के कारण था। ये पदार्थ हैं, आंत के माइक्रोबायोटा द्वारा पाचन क्रिया के दौरान पैदा हुए - ट्राइमेथाइलमाइन एन-ऑक्साइड (TMAO), तथा एल-कार्निटाइन (L-carnitine) के पाचन की प्रक्रिया से उत्पन्न मध्यवर्ती मेटाबोलाइट्स (चय-अपचय पदार्थ) जैसे कि गामा-ब्यूटिरोबेटाइन (L-gamma-butyrobetaine), और क्रोटोनोबेटाइन (γ-butyrobetaine) । 

यह तो रही अगस्त 2022 में मिली एक आधिकारिक वैज्ञानिक जानकारी। आगे आप सोचिए कि आपको क्या ख़ाना चाहिए और क्या नहीं!


Ref: Arteriosclerosis, Thrombosis, and Vascular Biology. 2022;42:e273–e288